अथ नारदजी को प्रसंग
इस प्रसंग में महाविष्णु की प्रेरणा पाकर दरिया महाप्रभु को नारद मुनी द्वारा दर्शन व सभी देवता लक्ष्मी भगवान की कृपा का वर्णन व दरियाव महाराज का नारदजी द्वारा भगवान को प्रणाम व कृपा बनायें रखने की प्रार्थना | नारद मुनि द्वारा भगवान को सारा वृत अवगत कराना भगवान द्वारा दरिया महाप्रभु को आशीर्वाद देना।
तब नारद होय प्रसण, दरस दीदार दिखाया।
कर क्रिपा महाराज, मिलण दरिया सु आया ॥
प्रसन करी म्हाराज, श्रीमुख कथा उचारी।
सुरगादिक वैंकुंठ, अनंत सोभा है भारी ।।
आप विसन भगवान, भगत की महमा गावे।
सिव ब्रह्मा अरु सेस, हस मुख प्रेम बढावे ॥
सनकादिक रिषराय, पारषत सदा चितारे ।
म्हा लिखमी म्हाराज, ध्यान हिरदा में धारे ॥
भगत तेज परताप, इसी विध सोभा छाजे ।
च्यार मुगत वैंकुंठ, ताही में जाय विराजे ॥
कहयो दास दरियाव, सुणो रिष नारद सामी।
सिव ब्रह्मा अरु सेस विस्न है अंतर जामी ॥
हूँ तो खानाजाद, सदा चरणां को चेरो।
ररंकार भरतार, और दूजो नहीं मेरो ॥
तम जावो वैकुंठ, विसन को केज्यो हमारी ।
कहयो दास दरियाव, सदा सरणागत थांरी ॥
जब नारद भगवान, आप वैकुंठ पधारया ।
धिन धिन जन दरियाव, श्रीमुख वचन उचारया ॥
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