Monday 17 October 2022

अथ नारदजी को प्रसंग

अथ नारदजी को प्रसंग

इस प्रसंग में महाविष्णु की प्रेरणा पाकर दरिया महाप्रभु को नारद मुनी द्वारा दर्शन व सभी देवता लक्ष्मी भगवान की कृपा का वर्णन व दरियाव महाराज का नारदजी द्वारा भगवान को प्रणाम व कृपा बनायें रखने की प्रार्थना | नारद मुनि द्वारा भगवान को सारा वृत अवगत कराना भगवान द्वारा दरिया महाप्रभु को आशीर्वाद देना।

तब नारद होय प्रसण, दरस दीदार दिखाया। 
कर क्रिपा महाराज, मिलण दरिया सु आया ॥ 
प्रसन करी म्हाराज, श्रीमुख कथा उचारी। 
सुरगादिक वैंकुंठ, अनंत सोभा है भारी ।। 
आप विसन भगवान, भगत की महमा गावे।
सिव ब्रह्मा अरु सेस, हस मुख प्रेम बढावे ॥ 
सनकादिक रिषराय, पारषत सदा चितारे । 
म्हा लिखमी म्हाराज, ध्यान हिरदा में धारे ॥ 
भगत तेज परताप, इसी विध सोभा छाजे । 
च्यार मुगत वैंकुंठ, ताही में जाय विराजे ॥ 
कहयो दास दरियाव, सुणो रिष नारद सामी। 
सिव ब्रह्मा अरु सेस विस्न है अंतर जामी ॥ 
हूँ तो खानाजाद, सदा चरणां को चेरो। 
ररंकार भरतार, और दूजो नहीं मेरो ॥
तम जावो वैकुंठ, विसन को केज्यो हमारी । 
कहयो दास दरियाव, सदा सरणागत थांरी ॥
जब नारद भगवान, आप वैकुंठ पधारया । 
धिन धिन जन दरियाव, श्रीमुख वचन उचारया ॥

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