Monday 17 October 2022

मदली खांन पठाण को प्रसंग

मदली खांन पठाण को प्रसंग

इस प्रसंग में दिल्ली बादशाह के दीवान मदलीखान पठाण द्वारा पानीपत की दूसरी लड़ाई में घायल स्थिति में आचार्य सतगुरु दरियाव महाराज की प्रार्थना करना । प्रार्थना सुनकर आचार्य द्वारा स्वयं शिष्य की रक्षा करना।

पाणीपत असतान, मंड्यो एक भारत भारी । 
फौजा का घमसाण, बात सुणज्यो नर नारी ॥ 
कल हलीया के काण, आवड्या आमा सामा। 
भया रण संगराम, धुरया रणजीत धमामा ॥ 
मदली षाण पठान, लड़यो सांवत सूरो। 
बण्यो साम को काम, पड्यो लोहरिण पूरो ।। 
रोम रोम नरब चख, पीड़ घट भीतर भारी । 
चेतन भयो शरीर, आप मुंह गिरा उचारी ॥ 
हो हो जन दरियाव, दया कर आप पधारो । 
मेटो तन की पीड़, विपत सब दूर निवारो ॥ 
सुणी टेर भगवान, दास के बदले आया। 
धर दरिया को रूप, घाव दुख दूर गमाया ॥

दोहा

चेतन भयो शरीर, नीकस्यो बारे बाण । 
जन दरिया परताप सु, बात परगट जुग जाण ॥

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