Monday 17 October 2022

अथ फतारामजी को प्रसंग

अथ फतारामजी को प्रसंग

इस प्रसंग में दरिया महाप्रभु द्वारा ममेरा भाई फतहचंद को यमदूत योनी से बचाना, दरिया प्रभु की कृपा से फतहचंद को भगवत प्राप्ति होना।

फतहराम इदकार, दास दरिया ममेरा का भाई ।
अवगत अवग्या सरूप, जूण जमरां की पाई ॥

एक दिन आया आप, दास दरिया के दरसण ।
रोवे अन्त अघाय, कृपा कर बोल्या परसण ।।

मेरो दुःखी शरीर, आप सुख सागर देवा । 
मेटो जम की जूण, करां चरणां की सेवा ॥

परसण भया महाराज, दया दिल माहीं उपाई। 
करी विश्नु से अरज, जम तें लिया छुड़ाई ॥

एसा समरथ संत, अनंत परचे इंदकारी।
सुणे सबद सत वेण, परम सुख उपजे भारी ॥

एसी हरकी भगत, जगत कोई जाणे नाही । 
कुल कारण नहीं कोय, मिले हरजन हरिमाही ॥

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