अथ खाजु मीरां को प्रसंग
इस प्रसंग में अजमेर के खाजा मीरा (मामा भानजा) दोनों द्वारा रामधाम रेण जाकर आचार्य श्री दरियाव जी महाराज का दर्शन कर प्रसन्न होना ।
षाजु मीरा सा है दो मामो भाणजा ।
तारागढ अजमेर, फरु के परगढ नेजा ॥
हिन्दु मुसलमान दोहुँ पूजे इकतारी ।
कलारूप करतूत जगत में मेमा भारी ॥
एक इन्छा धार, मिलण दरिया सुं आया ।
भाव प्रेम रस रीत, प्रीत करु दरसन पाया ॥
सुकल रूप सिर पांव, सुगन्ध सुरगादिक जैसी।
देखन जन दरियाव, हुवा दिन मन माहीं खुशी ॥
परसण भये म्हाराज, भक्ति की राह बताई ।
खाजु मीरां साह, जीकर की फिकर लगाई।॥
राम नाम परताप नहीं, काई जुग में छानो ।
परगट जन दरियाव, नबी साहेब ज्यूं जानो ॥
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