अथ समनजी को प्रसंग
इस प्रसंग में आचार्य श्री दरियाव जी महाप्रभु द्वारा पागल कुत्ता से काटा हुआ समन महात्मा की रक्षा करना।
सहर सलेमा बाज, संमन जन आप विराज्या ।
जन दरिया परताप, भजन सिवरण भल साज्या ॥
एक दिन भयो विजोग, बीठले लाल लगाई।
उपज्यो दुःख शरीर, कहण में आवे नाही ॥
घड़ी पहर के माहीं, देह को होतब आयो ।
समन करी पुकार, दास दरिया सुण पायो ॥
दया करी म्हाराज, राहेण सुं आप पधारया ।
सहर सलिमा बाद, शिष कुं जाय उबारया ॥
धन सम्रथ महाराज, क्रपा कर दर्शन दीन्हां ।
मीरां वाली बात, जहर अमृत कर लीन्हां ॥
करी पुत्र की साह, प्रगट अब सुणज्यो साखी।
भरगु सुकर जिसी, राम परतग्या राखी ॥
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