Sunday 20 August 2017

20. भगवन्नाम से सारे प्राश्चित हो जाते है

20. भगवन्नाम से सारे प्राश्चित हो जाते है ।
मनुष्य मन वाणी और शरीर से(मनसा, वचसा,कर्मणा) पाप करता है । यदि वह इन पापो का इसी जन्म में प्रयश्चित न करले तो मृत्यु के पश्चात उसे अवश्य ही उन भयंकर यातना पूर्ण नरको में जाना पड़ता है जिनका स्मरण करने मात्र से ही शरीर के रोगटे खड़े हो जाते है । इसलिये बड़ी सावधानी ओर जागरूकता के साथ रोग एवं मृत्यु प्रप्ति से पूर्व ही शीघ्र अति शीघ्र पापो के भयंकर परिणामो पर विचार करके उनका प्रायश्चित अवश्य कर लेना चाहिये । व्रत दान व तीर्थो द्वारा किया गया प्रायश्चित सहयोगी कारण माने गए है परंतु पापो की जड़ लोभ आसक्ति का निवास भोग वासनाओ में रहने से तथा पापकर्मो की प्रवति के कारण मानव पुनः पाप कर्मों में लिप्त हो जाता है परंतु राम नाम का जाप करने से अंत करण पवित्र हो जाता है जिससे भोग वासनाओ का क्षय हो जाता है । भोग वासना रहित मानव  में पाप करने की प्रवत्ति सदा सदा के लिये नष्ट हो जाती है इस प्रकार भगवन्नाम से सारे प्रायश्चित हो जाते है ।
*दरिया सुमिरे राम को सहज तिमिर का नास । घट भीतर होय चांदना परम ज्योति प्रकाश ।।*
*"सागर के बिखरे मोती"*
*रेण पीठाधीश्वर " श्री हरिनारायण जी शास्त्री"*

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