Sunday 20 August 2017

14. सर्व गुण भगति के आश्रित:

14. सर्व गुण भगति के आश्रित:
मनुष्य अपने परिवार व समाज को ईश्वर का स्वरूप समझकर उनके साथ निष्काम भाव से समुचित धर्म का पालन करते हुए सेवा करे । निष्काम सेवा भाव से हृदय पवित्र होता है । पवित्र ह्रदय में सात्विक भावों की प्रबलता से मानव आत्म कल्याण के लिये आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक महापुरुष की आवश्यकता समझकर उनका संग करता है । महापुरुषों के सत्संग से उसमे भगति का श्री गणेश होता है । *भगति महापुरुषों की कृपा से ही प्राप्त की जा सकती है।*
भगति जीवन मे परम सुख प्रदान करती है। ज्ञान विज्ञान आदि सभी गुण भगति के अधीन है । केवल राम ईश्वर की भगति करने से सारे गुण प्राप्त किये जा सकते है , जैसे वृक्ष के मूल को पकड़ लेने से वृक्ष की शाखाएं ,उपशाखाएँ, फूल फल पते आदि अवश्य उसके अंतरंग होने से उसमे समाविष्ट हो जाते है । इसीप्रकार सर्वगुण भगति के ही आश्रित है ।
*जन दरिया हरि भगति की , गुरा बताई बाट । भूला उझाड़ जाय था , नरक पड़न के घाट ।।*
*दरिया सतगुरु शब्द सो , मिट गई खेंचातान । भरम अंधेरा मिट गया , परसा पद निरबान ।।*
*"सागर के बिखरे मोती "*
*रेण पीठाधीश्वर " श्री हरिनारायण जी शास्त्री "*

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