Monday 28 August 2017

27.ईश्वर भजन ही सच्चा सुख का साधन है

27. " ईश्वर भजन ही सच्चा सुख का साधन है "
सांसारिक विषयो के प्रति वैराग्य से एवं ईश्वर चिंतन से पूण सुख की प्राप्ति होती है । वैराग्य के बिना ईश्वर भगति संभव नही है । धन संपत्ति कुटुम्ब एवं भोगों के विषयों का चिन्तन विषमय ( मृत्यु ) है । इनसे कभी भी सच्चे सुख की प्राप्ति नही होती है । राम नाम जप ओर ईश्वर की भगति के बिना जीवन मे कभी भी सुख और शांति का अनुभव नही होता है ।
संसार के जितने भी भोग प्रदार्थो सोना,चांदी आदि का सुख एवं इन्ही के साथ इन्द्रियो का भोग सुख भी यदि किसी एक ही व्यक्ति को भोग रूप से प्राप्त हो जावे तो भी ये समस्त भौतिक व  इन्द्रिय सुख उसे शांति प्रदान नही कर सकेंगे । जिस प्रकार अग्नि में डाली हुई घृत की आहुति अग्नि को ओर अधिक प्रज्वलित करती है इसी प्रकार भोग व तृष्णा की अग्नि बढ़ती ही जायेगी और इसप्रकार इस के सेवन से जीवन मे केवल तृष्णा व अशान्ति ही बढ़ेगी । ये सभी जड़ प्रदार्थ दुखदायक, असत्य एवं क्षणिक है । इसलिये महापुरूषो के सत्संग के द्वारा पवित्र विचार ,सद असद का ज्ञान प्राप्त करके मनुष्य ईश्वर आराधना करके शाश्वत सच्चे सुख की प्राप्ति कर सकता है अतः ईश्वर भजन ही सच्चे सुख का साधन है ।
जन दरिया एक राम भजन कर,भरम बसाना खोई ।
पारस परस भया लोह कंचन,बहुर न लोहा होई ।।
*सागर के बिखरे मोती*
रेण पीठाधीश्वर " श्री हरिनारायण जी शास्त्री "

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