Sunday 20 August 2017

13. आसुरी व्रति अविद्या को जितना ही पूतना को मारना है

13. आसुरी व्रति अविद्या को जितना ही पूतना को मारना है:*
6 दिन की आयु में ही भगवान कृष्ण ने पूतना को मारा । आयुर्वेद में पूतना नाम एक रोग का है । जिन बालको के माता-पिता उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखते है वे बच्चे स्वस्थ होते है, उन्हें यह रोग नही होता । स्वस्थ बालक पूतना रोग को मार कर नष्ट कर देता है । यह रोग बालक के जन्म से 3 वर्ष तक होता है । ये तीन गुण ही तीन वर्ष के वाचक है इसका आध्यात्मिक अर्थ यह है कि जो व्यक्ति सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण को जीत लेता है वही पूतना अविद्या रूपी घृणित मनोवृति को नष्ट करके उसे जीत लेता है । यह पूतना चतुर्दशी के दिन नंद के घर कृष्ण को मारने के लिये आई । अज्ञान भी पूतना ही है यह 14 स्थान ( पांच ज्ञानेंद्रिया ,पांच कर्मेन्द्रिया ,चार अंतःकरण ) पर अधिकार करती है । इन्हें जो सम दमादी साधना के द्वारा जीत लेता है वही पूतना अविद्या को मार सकता है उक्त कुवृत्तियों का नाश करके कृष्ण भगवान ने पूतना को मारा अतः आसुरी व्रति-अविद्या को जितना ही पूतना को मरना है ।
*जन दरिया एक राम भजन कर, भरम वासना खोई ।*
*पारस परस लोह भया कंचन,  बहुर न लोहा होई।।*
*"सागर के बिखरे मोती"*
*रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री"*

No comments:

Post a Comment