Friday 4 August 2017

9.नाद ब्रह्म-राम की सुंदरता:

9.नाद ब्रह्म-राम की सुंदरता:
भगति साधना में नाद (राम शब्द ब्रह्म) की बड़ी महिमा है । जब योगी यौगिक साधना -ध्यान योग द्वारा अहनिश (दिन-रात) आराधना साधना में लीन रहता है तब शब्द (नाद-ब्रह्म राम) कला की जागृति होती है तो उसे ध्यान साक्षात्कार काल में अनन्त अलौकिक दृश्य व जन तप स्वर्ग लोकों का दर्शन होता है । उसे करोड़ो सूर्यो के समान प्रकाश,अनन्त चंद्रमा की शीतलता व अनन्त आनन्द की अनुभूति होती है । जब अपनी वृत्ति (सूक्ष्म बुद्धि) से शब्द ब्रह्म के ध्यान काल में राम -राम शब्द सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करता है तब सम्पूर्ण शरीर मे प्रेम, प्रकाश,ज्ञान की शिराये फूटने लगती है । योगी ब्रह्म की अलौकिक सुंदरता को देखकर,अनुभव करके सुखी हो जाता है और उसकी सारी सांसारिक आशाएं इच्छाएं,आकांक्षाए नष्ट हो जाती है इस तरह उसका चित ब्रह्मकार हो जाता है ।
*अनन्त ही चंदा उगिया, सूर्य कोटि परकास। बिन बादल बरषा घनी,छह ऋतु बारह मास ।।*
*दरिया सुंन्न समाध की , महिमा घनी अनन्त ।पहुँचा सोई जानसी , कोई कोई बिरला सन्त ।।*
*"दरिया नाद प्रकासिया, सो छवि कही न जाय"*
*"सागर के बिखरे मोती"*
*रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री"*
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